Harekala Hajabba Biography in Hindi?दोस्तों बहुत सी लोग तो बहाने बनाकर अपने सपनो को मार देते है वही पर बहुत से ऐसे लोग होते है जिनका विज़न और ड्रीम क्लियर होता है , फिर इनको फर्क नही पढता है की परिस्थिति कैसी है.
उनको तो बस करना है तो करना है , तो ऐसी ही आज प्रसंसनीय पुरुषं हरेकला हजब्बा के बारे में मैं आज आपको बताने वाला हूँ, जो लोग हरेकला हजब्बा को नही जानते है तो उनको मैं बता देना चाहता हूँ की हरेकला हजब्बा एक बहुत ही गरीब परिवार में जन्म हुआ था.
बावजूद इसके इन्होने अपनी मेहनत के बल पर वो कर दिखाया जिसको करने का सपना हर मिडल क्लास का लड़का देखता है.
तो आज हम इस पोस्ट में हरेकला हजब्बा कौन है( Who is Harekala Hajabba)हरेकाला हजब्बा को पद्मश्री क्यों दिया गया?(Why was Harekala Hajabba given Padma Shri) और हरेकाला हजब्बा की कहानी (harekala hajabba story) क्या है और साथ ही साथ हरेकला हजब्बा के परिवार (harekala hajabba family) के बारे में बात करेंगे.
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तो अगर आप इस बारे में जानना चाहते हो की कैसे कोई गरीब इन्सान भी अगर चाहे तो वो भी बड़ा कर सकता है तो आप इस पोस्ट को अंत तक पढ़ते रहिये.
तो काह्लिये अब शुरू करते है –
Table of Contents
हरेकला हजब्बा का जीवन परिचय|Harekala Hajabb Biography in Hindi
पूरा नाम/रियल नाम | हरेकला हजब्बा |
उपनाम | हरेकला हजब्बा |
जन्मतिथि | 8 मार्च, 1956 |
उम्र | 65 वर्ष, 2021 के अनुसार |
जन्म स्थान | न्यू पापडू ग्राम , कर्नाटक , भारत |
घर | न्यू पापडू ग्राम , कर्नाटक , भारत |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पिता का नाम (Father Name) | पता नही |
माता का नाम (Mother Name)पता नही | शांताबाई दिनकर समरथ |
भाई का नाम (Brother Name) | पता नही |
बहन का नाम (Sister Name) | पता नही |
Maritial Status | विवाहित |
पत्नी का नाम | पता नही |
बच्चे का नाम | पता नही |
Marriage Date (विवाह तिथि) | पता नही |
Educational Qualification (शैक्षणिक योग्यता) | पता नही |
School (स्कूल) | पता नही |
College (कॉलेज) | नही |
Profession (पेशा) | संतरे बेचना |
उपलब्धि | दक्षिण कन्नड़ जिला पंचायत उच्च प्राथमिक विद्यालय‘ शुरू करना |
अवार्ड्स | पद्म श्री से सम्मानित |
हरेकला हजब्बा का जन्म और परिवार|Harekala Hajabba Born and Family-
दोस्तों हरेकला हजब्बा का जन्म न्यू पापडू ग्राम , कर्नाटक , भारत में एक बहुत ही गरीवा परिवार में हुआ था. अपने परिवार की गरीवी के कारण ये स्कूल नही जा सके थे.
इन्होने अपने परिवार की गरीबी के कारण ही ६ वर्ष के उम्र से ही बीडी बनाने का काम शुरू कर दिया था जिससे की इनकी माता की मदत हो सके.
इसके बाद इन्होने हजब्बा मैंगलोर के न्यूपाडुपु गांव में संतरे बेचने का काम शुरू किया, और संतरे बेचकर इन्होने अपना और अपने परिवार का खर्चा चलने लगे.
इससे वह रोजाना लगभग 150 रूपए की कमाई करते थे.
हरेकला हजब्बा को पद्म श्री क्यों मिला|Why Harekala Hajabba has been Got Padmshiri awards=
दोस्तों अब बात करते है की हरेकला हजब्बा को पद्म श्री से सम्मानित क्यों किया गया, तो एक बार एक अंग्रजी पति पत्नी हरेकला हजब्बा से संतरे खरीदने के लिए आये.
तब उन्होंने हरेकला हजब्बा से संतरे का दाम पूछा तब उस समय हरेकला हजब्बा उनको अंग्रजी में संतरे का दाम नही समझा पाए , उस समय पर हरेकला हजब्बा को शिक्षा का असली महत्त्व समझ में आया.
उस समय पर हरेकला हजब्बा ने ठान लिया की भले ही मैं अपने गरीबी के कारण शिक्षा को नही ग्रहण पाया पर आज के बाद कोई भी इनके इलाके में अशिक्षित नही रहेगा.
बस अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए इन्होने अपनी सारी मेहनत की कमाई लगाकर साल 1999 में एक मस्जिद में छोटे से स्कूल की शुरुआत की.
वहां पर शुरुआत में कुछ ही बच्चे स्कूल आते थे, लेकिन धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी.
President Kovind presents Padma Shri to Shri Harekala Hajabba for Social Work. An orange vendor in Mangalore, Karnataka, he saved money from his vendor business to build a school in his village. pic.twitter.com/fPrmq0VMQv
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 8, 2021
इसके बाद साल 2004 तक हरेकाला हजब्बा ने और पैसे इकट्ठे किए और स्कूल के लिए एक छोटी सी जमीन खरीदी.
हालांकि सारी जमा पूंजी लगाने के बाद वह सिर्फ जमीन ही खरीद सके. उनके पास स्कूल बनवाने के भी पैसे नहीं थे. इसके लिए उन्होंने नेताओं और धनवान लोगों से मदद मांगी.
इनके इस प्रयास में कई लोगों ने हरेकाला हजब्बा की मदद की तो कई लोगों ने उन्हें दूर से ही दुत्कार दिया. हालांकि थोड़ा-थोड़ा पैसा जोड़कर और लोगों से मदद लेकर हरेकाला हजब्बा ने साल 2004 में ‘दक्षिण कन्नड़ जिला पंचायत उच्च प्राथमिक विद्यालय‘ शुरू किया.
इन्होने बच्चो को पढ़ाने के लिए स्कूल में 4 शिक्षक को नियुक्त किया . आगे चलकर सरकार की तरफ से भी हरेकाला हजब्बा को मदद मिली.
प्राथमिक विद्यालय के रूप में शुरू हुआ उनका स्कूल आगे चलकर 1 एकड़ से अधिक भूमि क्षेत्र में खड़े एक माध्यमिक विद्यालय के रूप में विकसित हुआ.
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हरेकाला हजब्बा का सपना है कि आगे चलकर वह अपने गांव में एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की स्थापना कर पाए.
हरेकाला हजब्बा भले ही खुद कभी स्कूल ना जाए पाए, लेकिन उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा और अपना सबकुछ बच्चों की शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया.
हरेकला हजब्बा के इसी काम के कारण की वजह से भारत सरकार ने साल 2020 में हरेकाला हजब्बा को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित करने के लिए चुना था.
इसके बाद कोरोना के कारण उन्हें यह सम्मान साल 2021 में दिया गया.
हरेकला हजब्बा के सम्मान और अवार्ड्स-
अब बात कर लेते है हरेकला हजब्बा को मिले पुरस्कार और अवार्ड्स के बारे में-
- सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक इस्मत पजीर ने हजब्बा के जीवन पर ‘हरेकला हजब्बारा जीवन चरित्र´ नाम से एक किताब प्रकाशित की है.
- मैंगलोर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में हजब्बा के जीवन इतिहास को शामिल किया गया है.
- नवंबर 2012 में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन ने ‘अनपढ़ फल-विक्रेता का भारतीय शिक्षा सपना’ शीर्षक के साथ हजब्बा पर एक लेख प्रकाशित किया था.
- सीएनएन आईबीएन और रिलायंस फाउंडेशन द्वारा हरेकाला हजब्बा को ‘रियल हीरोज’ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
- कन्नड़ भाषा के एक प्रमुख समाचार पत्र, कन्नड़ प्रभा द्वारा हरेकाला हजब्बा को पर्सन ऑफ द ईयर नामित किया गया था.
- इसके आलावा 2021 में हरेकला हजब्बा को पद्म श्री से सम्मानित किया गया.
अंतिम विचार-Harekala Hajabb Biography in Hindi
दोस्तों अगर अपने इस पोस्ट को यहाँ तक पढ़ा है तो आपको Harekala Hajabb Biography in Hindi के बारे में सभी जानकारी मिल चुकी होगी.
और इसके आलावा आपको हरेकला हजब्बा के जीवन और इनके सम्मान से जुडी जानकारी बी मिल चुकी होगी अगर अभी भी आपको अगर हरेकला हजब्बा से जुडी और कोई भी जानकारी चाहिए तो आप मुझे कमेंट में बता सकते है.
आपका मेरी पोस्ट Harekala Hajabb Biography in Hindi पढ़ने के लिए धन्यवाद.